Thursday, June 26, 2014

राजकीय स्नान्त्कोत्तर महाविद्यालय शाहपुर


शुन्य से शिखर तक
कहते हैं होंसला बुलंद  तो रखो मंजिल अवश्य ही मिलती है पंखों से तो परिंदे भी उड़ लेते हैं, आज के युग में शिक्षा हर व्यक्ति के लिए आवश्यक है चाहे लड़का हो या लड़की और कठिन पडाव तो शुरू होता है +२ के बाद जब उच्च शिक्षा की आवश्यकता पड़ती है  पहले तो शाहपुर और इसके साथ लगने वाले क्षेत्रों के विद्यार्थी ग्रेजुएशन करने के लिए धर्मशाला जाते थे लेकिन कुछ दूर दराज के ऐसे क्षेत्र थे जैसे हारचकियाँ , सिधपुर , कोटला , वोह आदि जहाँ से आसानी  रोज आया जाया नहीं जा सकता था कुछ विद्यार्थी तो धर्मशाला में किराये पर कमरा लेकर रह लेते लेकिन कुछ के माता पिता उन्हें धर्मशाला तक नहीं भेज सकते थे अधिक परेशानी तो लड़कियों को होती थी इसलिए यह महसूस किया गया की शाहपुर क्षेत्र में एक महाविद्यालय की आवश्यकता है और तब से शूरू हो गया शाहपुर में महाविद्यालय स्थापित करने के लिए संघर्ष 1998
"color: #373737; font-family: Mangal; font-size: 19.0pt; mso-hansi-font-family: "Times New Roman";"> से पहले भी शाहपुर में महाविद्यालय खोलने के लिए घोषणा हुई थी पर इस पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया लेकिन अब महाविद्यालय की आवश्यकता समझी गयी इसलिए एक संघर्ष समिति का गठन किया गया भूख हड़ताल हुई , चक्का जाम भी हुआ पर जो मांग नहीं मानी जा रही थी वो थी शाहपुर में  राजकीय महाविद्यालय स्थापित करने की मांग पर संघर्ष चलता रहा और एक दिन यह संघर्ष रंग लाया और शाहपुर क्षेत्र में  राजकीय महाविद्यालय खोलने की घोषणा हुई 28 जून 2006 को हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा इसकी अधिसूचना जारी की गयी और साथ ही कॉलेज के भवन निर्माण के लिए बजट भी पास हुआ कॉलेज के लिए मझग्रां के सोल्हां परिवारों ने कुल 86 कनाल भूमि दान में दी इस संघर्ष में युवा क्लबों  , महिला मंडलों व् छात्र संघठनों ने अपना विशेष योगदान दिया  पर सबसे अधिक योगदान तो उन परिवारों का है जिन्होंने अपनी करोड़ों की भूमि कॉलेज के लिए दान में दे  दी  अभी तक कॉलेज का अपना भवन नहीं था इसलिए राजकीय पाठशाला छतरी के कुछ कमरों में वर्ष 2007 में पहले सत्र की शुरूआत हुई जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह द्वारा लिया गया जो उस समय भी हिमाचल के मुख्यमंत्री थे फिर राजकीय पाठशाला छतरी में कॉलेज की कक्षाओं का संचालन किया गया और उस समय यहाँ के प्रथम प्रधानाचार्य रहे डा० नरेन्द्र अवस्थी अब भवन का निर्माण कार्य आरम्भ किया गया 11 मार्च 2007 को कॉलेज के लिए भवन का शिलान्यास किया गया और उस समय यह भी तय हुआ की जिला काँगड़ा में इसी डिजाईन के तीन भवन बनेंगे और उनमे से सबसे पहले जो भवन बन कर तेयार हुआ वो राजकीय महाविद्यालय शाहपुर का भवन था 16 अक्टूबर 2010 को इस भवन का उद्घाटन किया गया लेकिन हुआ यूँ जो भवन महाविद्यालय के लिए बनाया गया वो केंद्रीय विश्वविद्यालय को अस्थायी भवन के रूप में दे दिया गया इससे कॉलेज के लिए सुन्दर भवन का सपना फिर से चूर हो गया अब इसके साथ ही एक अतिरिक्त भवन का निर्माण किया गया वास्तव में यह अतिरिक्त भवन केंद्रीय विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने वाली छात्राओं के रहने  लिए बनाया गया था लेकिन कॉलेज में अपना भवन होना भी आवश्यक था इसलिए 2012 में उस 10 कमरों वाले अतिरिक्त भवन में महाविद्यालय को शिफ्ट कर दिया गया पहले तो यहाँ सिर्फ आर्ट्स विषय की कक्षाएं ही लगती थी लेकिन वर्ष 2012 सत्र से साइंस और कॉमर्स विषय की कक्षाएं भी शूरू हो गयी जिससे विद्यार्थियों को काफी सहूलियत मिली पिछले सत्र में काफी विद्यार्थियों ने साइंस विषय में प्रवेश लिया साइंस लैब न होने के कारण प्रैक्टिकल धर्मशाला कॉलेज में ही चल रहे हैं इस वर्ष भी काफी विद्यार्थियों कॉलेज में प्रवेश ले रहे हैं
संपादक : दिव्या कोहली