यूँ ही नहीं खोये हैं हम उनकी याद में
कुछ तो दिल ए गुफ्तगू है ।
जाहिर कौन करे इस मुक्कमल को
मिले दिल को जो सुकूँ है ।
हवाएं तो गुजर जाती है आकर भी
पर साथ उनका सदा ए कबूल है ।
दिव्या कोहली
(शाहपुर)
Wednesday, November 22, 2017
Divya kohli shayari
Sunday, November 19, 2017
Kavita by Divya Kohli
मेरा अस्तित्व
मैं हूँ पहाड़
अथाह खड़ा
न जाने कब तक है मेरा अस्तित्व
है भी या नहीं
कब कर दिया जाएगा मुझे छलनी
मेरे सीने पर विस्फोटक तत्वों ,हथौड़ों से प्रहार किया जाएगा
मैं टूट कर बिखर जाऊंगा
मेरे सीने में बहुत दर्द होगा
तुम देखते रहना
मुझे मेरे स्थान से हिलाने का प्रयत्न किया जाएगा
ओर तुम्हारा प्रयत्न रंग भी लाएगा
मै चकनाचूर हो जाऊंगा
अगर थोड़ा बहुत अस्तित्व रह भी गया तो ,
प्राकृतिक ताकतें हिलोरे देकर उसे मिटाने की कोशिश करेंगी
ओर उनकी कोशिश भी रंग लाएगी
बस यही है मेरा अस्तित्व
टूटना ओर टूट कर बिखर जाना।
दिव्या कोहली
शाहपुर
Saturday, November 11, 2017
Short story by ...Divya Kohli
अरे मुबारक हो रिया तुम महाविद्यालय की अध्यक्ष बन गयी हो । फोन पर बात करते हुए सहेली ने कहा । पर रिया तुम आज कॉलेज क्यों नहीं आयी , तुम्हें सभी कॉलेज में ढूंढ रहे हैं ।
भारी मन से जवाब देते हुए रिया ने कहा आज मेरा अस्पताल में चेकअप है और अस्पताल आना बहुत जरूरी था इसलिए में कॉलेज नहीं आ पायी । मैं तुमसे शाम को बात करूँगी अभी में अस्पताल पहुंच गई हूं । अच्छा ठीक है ।
लेकिन रिया को क्या पता था कि आज उसके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी । डॉक्टर ने रिया को अल्ट्रासाउंड के लिए भेजा । रिपोर्ट्स आने के बाद रिया मन ही मन मे घुटने लगी । अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में रिया को पित्ते में पत्थरी बताई गई । 20 की उम्र और पित्ते में पथरी ओर इलाज़ भी सिर्फ ऑप्रेशन । रिया बहुत डर गई । कुछ पल के लिए तो बो जीने की उम्मीद भी खो चुकी थी । लेकिन उसने होंसला नहीं हारा ।
दो महीने पश्चात रिया को ऑपरेशन
हेतु अस्पताल ले गए । जहां 4 दिन तक विभिन्न टेस्टों के बाद रिया के आपरेशन की प्रक्रिया शुरू हुई । आपरेशन के लिए ले जाते समय उसकी माँ की आंखों में आंसू थे ,घर मे भी सभी परेशान थे की न जाने अब क्या होगा । रिया भी बहुत डरी हुई थी लेकिन उसके चेहरे पर मुस्कान थी । रिया सभी को बाये करती हुई आपरेशन के लिए चली गयी । बाहर सभी उसके लिए प्रार्थना में लगे हुए थे । लगभग छ: घण्टे के पश्चात रिया को होश आया ।
जो लड़की एक इंजक्शन से डरती थी उसे एक दिन में कई इंजक्शनों का सामना करना पड़ा । आपरेशन के बाद उसकी आँखों मे आंसू ही आंसू थे जो रुकने का नाम नहीं ले रहे थे । शायद रिया कहीं न कहीं आत्मविश्वास खो चुकी थी । उसके सामने डिब्बे में रखा उसका पित्त उसे ओर कमजोर कर रहा था ।
ओर जो थोड़ा बहुत खुद पर विश्वास था वो लोगों की बातें सुनकर ओर कम हो जाता । कुछ समय तक तो वो दिन रात इसी सोच में डूबी रहती । परन्तु रिया ने कभी हार नहीं मानी । काफी सोच विचार कर ,जो हो गया उसे पीछे छोड़कर रिया ने एक नई जिंदगी की शुरुआत की । क्योंकि जो खो गया वो कभी वापिस नहीं आ सकता और सच्चाई से डरना कैसा ।
फिर एक वर्ष बाद उसकी जिंदगी में एक ऐसा शख्स आया जिसने उसकी जिंदगी खुशियों से भर दी । उसने सच्चाई को जानते हुए भी कभी उसका विश्वास नहीं तोड़ा । वो जैसी है उसे वैसे ही स्वीकार किया । उसने हमेशा उसे खुश रखने की कोशिश की है । उसे खुद से प्यार करना सिखाया ।जो लड़की हमेशा खोई रहती थी जिसे खुद की कोई फिक्र नहीं थी वो अब बहुत बदल चुकी है । ओर ये सब किया है उसके प्रिंस ने ।
प्रिंस को बहुत बहुत स्नेह और प्यार ।
रचना स्वरचित व मौलिक
सत्य पर आधारित
दिव्या कोहली
शाहपुर ।