Tuesday, January 24, 2017

मेरा हिमाचल

कविता हिमाचल के बढते कदम  

मेरे छेले हिमाचल में हो रहा है चारों और विकास 

पहुँच रहीं हैं घर घर सड़के 

और किया जा रहा है समस्याओं का समाधान 

बस रहे हैं ओद्योगिक नगर 

और हो रहा है शिक्षा का प्रसार 

हंसती गाती प्रकृति 

और वर्फ से ढके हैं पहाड़ ।

मेरा हिमाचल कर रहा है नित कायम नए आयाम ।

दिव्या कोहली

Wednesday, January 4, 2017

कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है

कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है
कभी कभी पलको को आंसुओं से भिगोना पड़ता है।
यूँ ही नहीं मिल जाती सफलता हर शख्स को
कईं असफलताओं से भी गुज़रना पड़ता है।

छोड़ने पड़ते है शोक तो
घूमना फिरना भी छोड़ना पड़ता है कभी,
नहीं चल सकती मै घूमने यह कहकर दोस्तों का दिल भी तोडना पड़ता है कभी ।

कुछ पाने के लिए कुछ खोना.........

खाये पिए बिना भी रहने पड़ता है कभी ,
और रात भर  भी जागना पड़ता है कभी
जब माँ कहती है सो जाओ समय बहुत हो गया है
तब माँ को समझाना भी पड़ता है कभी ।

कुछ पाने के लिए कुछ खोना .......

हंसना भी पड़ता है
और रोना भी पड़ता है कभी
जब न मिले मन्ज़िल तो
मायूस होना भी पड़ता है कभी ।

कुछ पाने के लिए कुछ खोना.....

जब आ जाती हैं
सामने कईं राहें
तो अनेकों में से एक को चुनना पड़ता है कभी ।
जब सही गलत का आभास नहीं हो पाता
तो शिथिल रहना पड़ता है कभी ।

कुछ पाने के लिए कुछ खोना .........

जाग कर भी सपने देखने पड़ते हैं कभी
जब उम्मीद से दूर लगे सपने
तो सपनों को ही सपनों में संजोना पड़ता है कभी ।
कुछ पाने के लिए कुछ खोना ........

दिव्या कोहली