Tuesday, October 25, 2016

दीवाली आपसी प्रेम व् भाईचारे का त्यौहार

कहा जाता है जब भगवान राम जी रावण को मार कर सीता माता के साथ अयोध्या वापिस आए थे तो लोगो ने देसी घी के दिए जला व् नाच गा कर उनका स्वागत किया था। देश में तभी से हर बर्ष दीवाली का त्यौहार धूम धाम के साथ मनाया जाता है। लोग पूर्व में आपसी भाई चारे व् एक दूसरे से प्यार भाव को बढ़ाने के लिए दीवाली का त्यौहार मनाते थे। लेकिन बदलते वक़्त के साथ साथ दीवाली मनाने के तरीको में भी भारी बदलाब हुआ है। आज कल की बढ़ती भाग दौड़ व् दिन प्रति दिन हर और अपना दबदबा बना रहे आधुनिक युग व् विदेशी संस्कृति ने हिंदुओ के इस त्यौहार के मायने ही बदल डाले है।  चीनी  सामान ने इस कदर भारतीय बाजार में अपनी धाक जमा ली है की आज दीवाली पर मिट्टी के दीपक कम ही देखने को मिल रहे हैं । आज यह त्यौहार आपसी सद्भाव व् भाई चारे के लिए मनाने की बजाए केवल मोज मस्ती का साधन बन कर रह गया । देश के लोग आज विदेशी संस्कृति व् अपनी मोज मस्ती में इस कद्र डूब गए है की पर्यावरण को भी खतरे में  डाल दिया है ।  देर रात तक चलने वाली आतिशबाजी से जहां पर्यावरण को नुक्सान पहुंचता है वहीं कई प्रकार की स्वस्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी उत्तपन्न होती हैं । इस पवित्र त्यौहार को मात्र मनोरंजन के लिए नहीं बल्कि भाईचारे एकता की भावना के साथ मनाएं ।
दिव्या कोहली
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय
शिमला