Sunday, November 13, 2016

Divya Kohli Kavita

न मिलेगी दोबारा
ये ज़िन्दगी ।
मुस्कुरा कर जियो
क्यों खो रहे हो इस
दुनिया की भीड़ में ..
कुछ अलग कर जियो ।
आते रहते हैं गम
और खुशियाँ ज़िन्दगी में
तो क्या हुआ सबको हंसा
कर जियो ।
लोग क्या कहेंगे
छोड़ दो इस ख्याल को
कहने दो लोगों को
तुम अपने बल पर
इस संसार में जियो ।
बहुत मिलेंगे
राह से भटकाने वाले..
पर अपने लक्ष्य को पाने
के लिए ज़िद्द से जियो ।

Divya kohli

Sunday, November 6, 2016

बच्चों में कम होती सहनशीलता


पिछले दिनों प्रदेश में कुछ ऐसी घटनाएं घटी जिनसे लगता है कि अब बच्चों में सहनशीलता कम होती जा रही है । बीते दिनों उपमंडल सुजानपुर के साथ लगते गाँव सन्नू के दो सगे भाईयों को पिता की डांट सुनकर इतना बुरा लगा कि वे घर छोड़कर ही चले गए । माता पिता का डाँटना कोई गलत बात नहीं है । वह बच्चों को कुछ गलत करने पर ही डाँटते हैं। सिर्फ डांट सुनकर इस प्रकार का कदम उठाना कदापि उचित नहीं है । इससे पता चल रहा है कि आज बच्चों में सहन करने की शक्ति नहीं रही ।

दिव्या कोहली
हिमाचल प्रदेश विश्विद्यालय
शिमला

Tuesday, October 25, 2016

दीवाली आपसी प्रेम व् भाईचारे का त्यौहार

कहा जाता है जब भगवान राम जी रावण को मार कर सीता माता के साथ अयोध्या वापिस आए थे तो लोगो ने देसी घी के दिए जला व् नाच गा कर उनका स्वागत किया था। देश में तभी से हर बर्ष दीवाली का त्यौहार धूम धाम के साथ मनाया जाता है। लोग पूर्व में आपसी भाई चारे व् एक दूसरे से प्यार भाव को बढ़ाने के लिए दीवाली का त्यौहार मनाते थे। लेकिन बदलते वक़्त के साथ साथ दीवाली मनाने के तरीको में भी भारी बदलाब हुआ है। आज कल की बढ़ती भाग दौड़ व् दिन प्रति दिन हर और अपना दबदबा बना रहे आधुनिक युग व् विदेशी संस्कृति ने हिंदुओ के इस त्यौहार के मायने ही बदल डाले है।  चीनी  सामान ने इस कदर भारतीय बाजार में अपनी धाक जमा ली है की आज दीवाली पर मिट्टी के दीपक कम ही देखने को मिल रहे हैं । आज यह त्यौहार आपसी सद्भाव व् भाई चारे के लिए मनाने की बजाए केवल मोज मस्ती का साधन बन कर रह गया । देश के लोग आज विदेशी संस्कृति व् अपनी मोज मस्ती में इस कद्र डूब गए है की पर्यावरण को भी खतरे में  डाल दिया है ।  देर रात तक चलने वाली आतिशबाजी से जहां पर्यावरण को नुक्सान पहुंचता है वहीं कई प्रकार की स्वस्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी उत्तपन्न होती हैं । इस पवित्र त्यौहार को मात्र मनोरंजन के लिए नहीं बल्कि भाईचारे एकता की भावना के साथ मनाएं ।
दिव्या कोहली
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय
शिमला

Saturday, May 28, 2016

कविता हेलमेट फैशन

बिना हेलमेट डालने वालों के किस्से आज आपको बताते हैं
हेलमेट बाजू में डाल कर यह नया फैशन बनाते हैं ।
अपनी जान प्यारी सबको फिर क्यों जान के दुश्मन बनते हो ।
बिना हेलमेट बाइक्स चलाने वालों
तुम इतने स्टंट्स क्यों करते हो ।
rc न लाइसेंस न कोई दस्तावेज है ।
कोई बात नहीं साहब पैसों भरी जेब है ।
पुलिस को चलान काटता देख
रास्ते से ही मुड़ जाते हैं ।
और कभी पुलिस को देख हेलमेट डाल मुर्ख बनाते हैं ।
तोड़ के सारे नियम क़ानून ये खुद को रोबिन हुड बताते हैं ।
बिना हलमेट डालने वालों के किस्से आपको सुनाते हैं
बाजु में हेलमेट डाल कर ये नया फैशन बनाते हैं
रचना ; दिव्या कोहली
           राहुल सुन्दन

कविता । हेलमेट बना फैशन

बिना हेलमेट डालने वालों के किस्से आज आपको बताते हैं
हेलमेट बाजू में डाल कर यह नया फैशन बनाते हैं ।
अपनी जान प्यारी सबको फिर क्यों जान के दुश्मन बनते हो ।
बिना हेलमेट बाइक्स चलाने वालों
तुम इतने स्टंट्स क्यों करते हो ।
न rc न लाइसेंस न कोई दस्तावेज है ।
कोई बात नहीं साहब पैसों भरी जेब है ।
पुलिस को चलान काटता देख
रास्ते से ही मुड़ जाते हैं ।
और कभी पुलिस को देख हेलमेट डाल मुर्ख बनाते हैं ।
तोड़ के सारे नियम क़ानून ये खुद को रोबिन हुड बताते हैं ।
बिना हलमेट डालने वालों के किस्से आपको सुनाते हैं
बाजु में हेलमेट डाल कर ये नया फैशन बनाते हैं ।
रचना ; दिव्या कोहली