एक दिन हंसने हंसाने का है
हंसी मजाक उड़ाने का है
दूसरों को मुर्ख बनाने का है ।
वैसे तो मुर्ख हम बनते रोज हैं
नए नए वादे हमें करते बोर हैं ।
फिर भी क्यों न अब किसी को मुर्ख बनाया जाए
बीती हुई बातों को भुलाया जाए ।
मुर्ख बनाओ ऐसे जैसे किसी को ठेस न पहुंचे
सही गलत भले ही कह दो
ध्यान रहे कोई बुरा न समझे ।
दिव्या कोहली
शाहपुर
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