यूँ ही नहीं खोये हैं हम उनकी याद में कुछ तो दिल ए गुफ्तगू है । जाहिर कौन करे इस मुक्कमल को मिले दिल को जो सुकूँ है । हवाएं तो गुजर जाती है आकर भी पर साथ उनका सदा ए कबूल है । दिव्या कोहली (शाहपुर)
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