Wednesday, November 22, 2017

Divya kohli shayari

यूँ ही नहीं खोये हैं हम उनकी याद में
कुछ तो दिल ए गुफ्तगू है ।
जाहिर कौन करे इस मुक्कमल को
मिले दिल को जो सुकूँ है ।
हवाएं तो गुजर जाती है आकर भी
पर साथ  उनका  सदा ए कबूल है  ।
दिव्या कोहली
(शाहपुर)

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